Tuesday, January 26, 2016
Friday, January 22, 2016
उंगली पकड़ लो पापा
दहेज़ के लिए जहर पिला दी गई बेटी को
पिता ने बहा दिया नदी में
साथ साथ किनारे किनारे वो भी तैरता रहा
बेटी के साथ
साथ जहर उतार जाये
और उठ के बेटी फिर बुलाये
उंगली पकड़ लो पाप
__ Infinity
Monday, January 18, 2016
कर दो ताड़ ताड़ मुझे एक बार फिर
पोत दो कालिख मेरे मुह पे
निकाल लो भड़ास अपनी
साफ चेहरा
मेरा बेदाग जिश्म
सहन नहीं होता तुम से
मेरा दर्द खुश कर जाती होगी तुम्हें
बहन माँ पत्नी लड़की सिर्फ अपनी होती है न
दूसरों की हो तो क्या सिर्फ जिश्म
नोच लो गिद्ध बन जाओ
निर्वश्त्र कर दो एक द्रोपादी को फिर से
कृष्ण नहीं आते आब
बस बचे है सिर्फ दुर्योधन और दुसशासन
नंगा कर देने के लिए सार्वजनिक
धृतराष्ट्र आज भी काबिज है यहाँ सिंहशसन पर
भीष्म की प्रतिज्ञ कर के बैठे है लोग सिर्फ खुद के लिए
गांधारी को भी आंखो पर बंधे कपड़ो के आगे नहीं दिखाता है कुछ
बेंच आई थी मुझे मेरे जैसे ही कोई
भरोषा कर के हाथ पकड़ लिए था जिसका मैंने
आओ
मेरा अधिकार नहीं है कुछ
और सारा कर्तव्य मेरा
डरते क्यू हो तुमसे तो गलती हो जाएगी
और सारे सवाल मेरे
आओ दागदार कर दो मुझे
क्यो मैं हो सिर्फ जिश्स्म
दर्द तो सिर्फ खुद को होती है
दूसरों को तो होता है बहाना
आओ कर दो ताड़ ताड़ मुझे एक बार फिर
__Infinity
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Saturday, January 16, 2016
Wednesday, January 6, 2016
तुझे तब भी करूंगा प्यार
तुझे तब भी करूंगा प्यार
जब झुर्रियों से भर जाएगा तेरा चेहरा
और भी ज्यादा
जब तेरी आवाज नहीं रहेगी मीठी अब के जैसा
जब तू सीधी चल नहीं पाएगी तब भी
तुझे पकड़ कर सहारा दूँगा
मैं तब भी चाहूँगा तुझे उतना ही
जब हो जाएंगे तेरे सारे कपड़ो के साथ पोस्तीन ढीले
जब तू चल नहीं पाएगी तेज
मेरे कदम से कदम मिला के तब भी
उतना ही चाहूँगा तुझे
जब बैठे बैठे ऊँघेगी तू तब भी
उतना ही करूंगा प्यार
जब भूल जाओगी तुम बार बार
चाय मे चीनी
सब्जी मे नमक
तब भी करूंगा उतना ही प्यार
झड़ जाये बेशक तेरे सारे दांत
एड़ियाँ हो जाए चाहे कितनी भी खुश्क
फट जाये होठ तेरे चाहे
और भूरे हो जाए तेरे केस सारे
तब भी तुझे करूंगा उतना ही प्यार
तेरी अंतरआत्मा देखी है मैंने
जो कभी नहीं होगी पुरानी
बूढ़ी होगी नहीं कभी
हमेशा रहेगी नयी
बिलकुल तेरे आंखो मे बसी मेरे लिए बेचैनी की तरह
बार बार मुझे देख कर खुश होने वाले मन की तरह
तुझे अब की तरह तब भी करुंगा
बेंतहा प्यार .....
Tuesday, January 5, 2016
आब आई हो तो पास ही रहना
सुबह की शबनम की तरह तेरी आँखों की चमक
शाम के गिरते अंधेरों की तरह जुल्फों की छाव
गुलाब की पंखुड़ी सा तेरी होठों का एहसास
बारह मास खिलने वाले फूलो सा तेरा ये मन
कहाँ से लाई हो ये किस जहां से उतर के आई हो
मेरी जहन मे थी एक तस्वीर
अक्स बनाता था हमेशा मन के जमींन पर
बिलकुल उसी की तरह नजर आती हो तुम
आब आई हो तो पास ही रहना
बुढ़ापा बिताएँगे साथ-साथ
एक दूसरे की उंगली थामे
कंधे संभाले
चलेगे साथ, सात जन्मो की राह पर एक साथ ही
इस जिंदगी के चुक जाने के बाद
अब जिंदगी के हर हिस्से पर
किसी और का भी हक है
कोई और भी चिंतित है
सोंचते है हम भी अब किसी और के लिए
__Infinity
Sunday, January 3, 2016
खुद को तेरी याद दिला लेते है
यू ही बैठे बैठे मुस्कुरा लेते है
खुद को तेरी याद दिला लेते है
वो तुझ से मिल के हुआ था एहसास
उसे बार बार खुद ही जगा लेते है
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