इंतजार में बैठे रिश्ते
तुम आओ उड़ के भरपूर
छू के आओ गगन सारा
लाँघ आओ महासागर सारे
हम यहीं है
रहेंगे इंतजार में जिन्दा रहने तक
अस्थियां भी करेंगी इंतज़ार तुम्हारा
जब थक जाना दौड़ते-दौड़ते
आज जाना
जब भी जरूरत पड़े सुस्ताने की
हमारे अंजुलिओं की छाँव
अब भी गहरी है
इंतजार में बैठे रिश्ते
फिर अपना लेंगे तुम्हे ......
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