एक अजनबी
एक अजनबी से यूँ मिले ...जैसे कोई पुराना सा था
मस्तिष्क के किसी कोने में कोई छुपा सा था
कुछ अजब सी बात थी उनके आने की
कुछ अनकहा कुछ अनसुना कुछ अनदेखा सा
मन को ये ख्याल आया की इस से ही बंधा था शायद
कुछ अजब गजब रिश्ता है सब सुलझा सब बंधा सा है
एक खुला असमान एक अंतहीन आकाश सा .................
सुन्दर कुछ भाव... फूलों से भी कोमल एहसास
एक अजनबी से यूँ मिले ........जैसे कोई पुराना सा था ..........
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