Wednesday, December 23, 2015
बहोत दिन बाद ये बाहर आई है
बहोत दिन बाद ये बाहर आई है
एक सूखे पत्ते पे बहरो की खुमार आई है
ये एहसान तेरा ही है बस
की हर रोज हरा हो जाने का मन होता है अब
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment