Thursday, October 13, 2011
सार्थकता
मुशाफिर के सफर का सामान
बन के जी
किसी अच्छे इंसान का
ईमान बन कर जी
तुझे मिल जाएगा वो एक दिन
भगवान न सही पर सिर्फ
एक अच्छा इंसान बन के जी.
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