बहुत दूर से पत्थर घसीट
कर लाया हूँ
न जाने फिर मै यहाँ
किस फ़िराक में आया हूँ
रास्ते फिर मिल जाएंगे
मंजिले खुद चली आएगी
किसी सागर कि तलाश में
फिर लौट आया हूँ
कर लाया हूँ
न जाने फिर मै यहाँ
किस फ़िराक में आया हूँ
रास्ते फिर मिल जाएंगे
मंजिले खुद चली आएगी
किसी सागर कि तलाश में
फिर लौट आया हूँ
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