Friday, May 27, 2016

आओ माँ तुम्हे लोरी सुना दूँ


























आओ माँ
तुम्हे लोरी सुना दूँ
जागती रही पूरी जिंदगी तुम
आओ थोड़ी के लिए तुम्हे भी सुला दू
हमें पालने में बूढ़ी हो गई हड्डियों की
थोड़ी थकान मिटा दू
उतना तो नहीं कर सकता
किया जितना तुमने
बस
थोड़ा सा ही सही
तुम्हे आराम दिला दूँ
दिन के अधिकतर हिस्से जो तुमने बिताये
संभालने में हमें समझी हर जरूरत हमारी
थोडा ही सही सुकून दिल दूँ
भागती रही हो पूरी जिंदगी
सबके लिए
आओ थोड़ा सा पैर दबा दूँ
आँखे थक गई होंगी तुम्हारी थोड़ी सी
रात देर तक जग कर
सुबह उठ कर सबसे पहले
आओ ना उन आँखों को
थोड़ी नींद दिला दूँ
मिट गई जो हांथो की लकीरे तुम्हारी
पेट भरने के लिए हमारी
आओ तुम्हारे लकीरो मे
किस्मत वाली रेखा को थोड़ा आगे बढ़ा दूँ
बर्तनों को चमकाने में जो बदरंग हो गई है
तुम्हारी हथेलियाँ
आओ न, थोडा सहला दूँ
देख हमें नय कपड़ो में
हो जाती थी खुश पेवंद भरी साड़ियों से
आओ चल के एक नयी साड़ी दिला दूं
सिर्फ हमें खुश रखने के लिए
जो रहती मुस्कान तुम्हारे होंठो पर
इंसान बन गए
बच्चे तुम्हारे
एहसास दिला के
चलो थोड़ी हसीं दिला दूँ
जिन उँगलियो को पकड़ के
बड़ा हुआ आओ
तुम्हारे मजबूत किए गए हांथ
पकड़ा कर थोड़ी दूर घूमा दूँ
आओ न माँ
तुम्हे लोरी सुना दूँ।


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