फिर एक मोमबत्ती जला लेते है
अपने दिल के भीतर के आग को भुझा लेते है
हमारे काम भी नहीं आ पता है ये आग
क्या कि इससे देश कि भूख मिटायेंगे
इसलिए उचटी हुई नींद को भी
जबरदस्ती सुला लेते है.......
खुद को एक बार फिर समझा लेते है….
--------------------------------------------------> शाश्वत श्रीपर्व
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