मुझे नशे मे रहने दो शाकी
की दुनाया बहुत जालिम है.....
Saturday, April 28, 2012
Wednesday, April 25, 2012
खुशी के सारे सामान हो मयस्सर, फिर भी खुश रहना आए ये जरूरी तो नहीं
कौन समझाये आप समझदारों को गालिब
कि दिखती है भलाई मे बुराई आपको
हम तो चाहते है सिर्फ कि सुकून मिल जाये आपको
अब खुश रहना ही न चाहे
तो हम क्या करे भला।
शिकायतें
शिकायतों का पुलिंदा लिए घूमते हो गालिब
कभी खुद मे भी झांक लिया करो
कुछ शिकायते कम हो जाये शायद।
Tuesday, April 24, 2012
काम अपना निकलते चलिये
कभी मत सोचीय की कैसा हू मै
बस काम निकालते चलिये अपना
सोंचने बैठ गए गर मेरे बारे मे
तो काम आपका निकाल न पाएगा।
Friday, April 20, 2012
आँकिएगा ना हमे हम से कम
हमारी तो जात है हिंदुस्तानी
भाषा मुस्कुराहट है
चाहे कुछ भी करो लो
जानेमन
हम जो है
सो है
कभी न आकिएगा कम हमे
की हम जब भीड़
गए तो आपकी खैर नहीं।
Thursday, April 12, 2012
Monday, April 2, 2012
कहा तो था हमने भी
कौन जागता है याद मे उनके गालिब
हम तो जागते है कि याद कर सके उन्हें हम।
जो कुछ बाते रह गई थी बाकी,
ख़यालो मे ही सोचते है, के बता दे उन्हे।
ताकी शिकायत न रहे उन्हे
की हमने कहा नहीं कभी।
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