ये सड़क है वही
शहर की तरफ गया था कभी
मुड़ा नही फिर
गाँव की तरफ
#Infinity
Saturday, October 24, 2020
Saturday, October 3, 2020
निष्ठुर ख्वाब गरीबी के
मेरी दुनिया वहीं
कहीं कोने में ही पड़ी है
मेरे सपनों का मोल
निर्धारित है मेरे पैदाइश के पहले से ही
बिक गए कौड़ियों के भाव सब पहली ही खेप में
अकीदतमंद है सिर्फ मेरी मेहनत
काफिर है सारे मेरे ख्वाब
बस कत्ल के लायक
मेरी औकाद
मेरे फटे कपड़े की दहलीज नहीं लांघती कभी
पूरी कोशिश से भी
मेहनत मेरी चमक साहब के चेहरे की
बनाये थे ताजमहल साहब
सारी दुनिया जानती है यही।
#Infinity
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