Monday, September 24, 2018
दबे कदम आ रही है ठण्ड
बस कुछ ही दूरी पर दिख रही है
अंगीठी छुपाये कम्बल लपेटे
चाय की चुस्कीओं में
ओस की बूंदो में चमकती
धुंध में चुप चाप
दबे कदम आ रही है ठण्ड
#Infinity
Wednesday, September 19, 2018
अनजानों का शहर है ये अपनो का गाँव नहीं
अनजानों का शहर है ये
अपनो का गाँव नहीं
दुख बाँटता नहीं कोई
सुख बताता नहीं अब यहाँ
बुज़ुर्ग कोने में रक्ख़ा पीकदान
बच्चे सुनते नहीं अब राजा-रानीयो परीयों की कहानियाँ
सब कुछ है सबके पास यहाँ
पर किसी के पास कोई नहीं
#Infinity
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