बुन देती है पंख मेरे
टूटी भी हो खुद तो
जोड़ देती है मुझे हरवक्त
माँ है वो
आँसू ले के मेरे
पंखुड़ियां लौटा देती है गुलाब की
खाली पेट भी हो तो पूछती है और ले लो थोड़ी
दिखाती नही एक कतरा चोटिल भी हो गर
बटोर के ले लेती है दुख सारे
माँ है वो माँ ही तो है वो।