Wednesday, December 17, 2014
दुनियाँ में सबकुछ ढूंढना आसान है मुश्किल तो है अपनी गलती ढूंढना जो जीतनी जल्दी मिले इंसान के लिए उतना ही अच्छा
दुनियाँ में सबकुछ ढूंढना आसान है मुश्किल तो है अपनी गलती ढूंढना जो जीतनी जल्दी मिले इंसान के लिए उतना ही अच्छा ।।
Monday, December 1, 2014
Sunday, November 23, 2014
Wednesday, November 19, 2014
Friday, October 17, 2014
Wednesday, October 15, 2014
कल ही तस्वीर खिचाई थी उसने
कल ही तस्वीर खिचाई थी उसने
गाल पे गड्ढे वाली
फिर गिराने का ख्याल आया होगा...
प्यार मे खुद के किसी बेगुनाह को
---Infinity
गाल पे गड्ढे वाली
फिर गिराने का ख्याल आया होगा...
प्यार मे खुद के किसी बेगुनाह को
---Infinity
Tuesday, October 14, 2014
किसी का सहारा खोया था, किसी ने फायदा उठाया
किसी का सहारा खोया था, किसी ने फायदा उठाया ....
यहाँ बेमतलब तो कोई सांस भी नहीं लेता...
----Infinity
यहाँ बेमतलब तो कोई सांस भी नहीं लेता...
----Infinity
Monday, October 6, 2014
ईमानदारी कोने मे बैठी देखती रही एक टक
बेईमानी बिकी हाथो हाथ बाजार मे ...
ईमानदारी कोने मे बैठी देखती रही एक टक
---Infinity
ईमानदारी कोने मे बैठी देखती रही एक टक
---Infinity
Wednesday, September 17, 2014
औकात अपनी भी
गिर के देख लेते है फिर एक बार
पता चल जाये उठाने के लिए बढ़ते हुए हाथों से
औकात अपनी भी
-----Infinity
पता चल जाये उठाने के लिए बढ़ते हुए हाथों से
औकात अपनी भी
-----Infinity
Monday, September 8, 2014
हिचकियों से पता लगता ही होगा तुम्हें अक्सर
Jikr karata hoo hamesha tumhara
Har roj
Hichkiyon se pata lagata hi hoga tumhe aksar
जिक्र करता हू हमेशा तुम्हारा
हर रोज
हिचकियों से पता लगता ही होगा तुम्हें अक्सर
: Infinity
Har roj
Hichkiyon se pata lagata hi hoga tumhe aksar
जिक्र करता हू हमेशा तुम्हारा
हर रोज
हिचकियों से पता लगता ही होगा तुम्हें अक्सर
: Infinity
Tuesday, August 12, 2014
जिनका साथ छोड के चल दिये जालिम
जिनका साथ छोड के चल दिये जालिम
उसी की आस लगाए बैठे है ...
जरूरत थी जब तो न जाने कौन थे हम
जब जरूरत आयी तो हम ही हम है गालिब
-----Infinity
उसी की आस लगाए बैठे है ...
जरूरत थी जब तो न जाने कौन थे हम
जब जरूरत आयी तो हम ही हम है गालिब
-----Infinity
Wednesday, August 6, 2014
नई किताबों की खुशबू आई है कहीं से
नई किताबों की खुशबू आई है कहीं से
लगता है फिर कोई
बच्चा जिल्द चढ़ा रहा है किताबों पर
पेंसिल के छिलको की फूल बना देखा कहीं
नए टिफिन बॉक्स दिखा है घर पर
लगता है फिर एक नहीं पीढ़ी
पढ़ने की कोशिश मे है
स्कूल की घंटियो की आवाज आई कहीं से कानो मे
स्कूल बस दिखा है घर के सामने
लगता है फिर एक बार कोई बच्चा
स्कूल की खोज मे निकला है
दुनिया की रस्मों को निभाने निकला है॥
---------Infinity
Sunday, August 3, 2014
भाई बस राखी के बाड़ेले यही चाहिए कि हर के अवला मे मुझे देखोगे..... भाई वादा करदों राखी पे आज .....
इस राखी हर बहन कहे अपने भाई से की मेरी रक्षा के साथ भाई वादा करो कि किसी अकेली लड़की को गलत नजर से नहीं देखोगे उसकी भी मदद करोगे सुरक्षित घर पाहुचने मे .... मुझे पैसे नहीं चाहिए राखी के बदले मुझे कोई गिफ्ट नहीं चाहिए बस एक वादा चाहिए कि आप किसी कि अस्मत नहीं लूटोगे किसी और कि बहन को बेआबरू नहीं करोगे ॥ भाई बस राखी के बाड़ेले यही चाहिए कि हर के अवला मे मुझे देखोगे..... भाई वादा करदों राखी पे आज .....
Thursday, July 24, 2014
Poems And Articles By Shashu: तेरी जगह तेरी याद सो गई थी कल रात
Poems And Articles By Shashu: तेरी जगह तेरी याद सो गई थी कल रात: तेरी जगह तेरी याद सो गई थी कल रात पूरी रात आंसुओं से भिंगी रही आंखे मेरी....... ---Infinity
Friday, July 18, 2014
तेरी जगह तेरी याद सो गई थी कल रात
तेरी जगह तेरी याद सो गई थी कल रात
पूरी रात आंसुओं से भिंगी रही आंखे मेरी.......
---Infinity
पूरी रात आंसुओं से भिंगी रही आंखे मेरी.......
---Infinity
पता न चला कब बारिश के पानी कब धुले गए थे आँसू....
बारिश हुई थी कल किसी की आँख गीली हुई थी
पता न चला कब बारिश के पानी कब धुले गए थे आँसू....
---Infinity
पता न चला कब बारिश के पानी कब धुले गए थे आँसू....
---Infinity
Thursday, July 17, 2014
Wednesday, July 2, 2014
Saturday, June 21, 2014
ऊसके अपने ही थूक से मिटती रही उसकी भूख
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Wednesday, June 18, 2014
Friday, June 13, 2014
उसकी जान जाती रही है और भीड़ छटती रही
वहाँ भीड़ लगी थी कोई अधमरा पड़ा था शायद ...
उसकी जान जाती रही है और भीड़ छटती रही .....
--->Infinity
उसकी जान जाती रही है और भीड़ छटती रही .....
--->Infinity
Thursday, June 12, 2014
नहीं तो सूरज की रोशनी मे जल गया होता चाँद
उसकी जुल्फों की छाव ने किया था एहसान
नहीं तो सूरज की रोशनी मे जल गया होता चाँद.....
......... Infinity
नहीं तो सूरज की रोशनी मे जल गया होता चाँद.....
......... Infinity
बचा लो मुझे कि मैं उत्तर प्रदेश हू
मैं ब्लाटकारियों और छद्म मनुस्यों का शेष हू
मैं घमंडी एहंकारी नेताओं का अवशेष हू
मुझे उठाओ कि तुम्हारा ही एक भेष हू
बचा लो मुझे कि मैं उत्तर प्रदेश हू
------ Infinity
मैं घमंडी एहंकारी नेताओं का अवशेष हू
मुझे उठाओ कि तुम्हारा ही एक भेष हू
बचा लो मुझे कि मैं उत्तर प्रदेश हू
------ Infinity
Wednesday, June 11, 2014
ज़िंदगी की पतंग को हम देते रहे ढ़ील
ज़िंदगी की पतंग को हम देते रहे ढ़ील
और लोग काटते रहे ..
......Infinity
और लोग काटते रहे ..
......Infinity
Wednesday, June 4, 2014
माँ के संभाले कंगन टूट गए पिता का मन बदनशीब हो गया कोई दरिंदा लूट गया कई सपनों को
माँ के संभाले कंगन टूट गए पिता का मन बदनशीब हो गया कोई दरिंदा लूट गया कई सपनों को
माँ ने संभाल रक्खे थे कंगन अपनी शादी वाले
बेटी जब जाएगी ससुराल तो पहना कर भेजेगी
अपनी निशानी उसको
भाई ने जोड़ लिए तो कुछ पैसे
बहन को अपने औकात से विदा करने के लिए
पिता का मन रोज हो जाता था भावुक
की बेटी जब चली जाएगी ससुराल तो
तो कितना लगेगा सन्नाटा
भेजता था बेटी को स्कूल की
पढ़ लिख जाएगी
तो अपने पैरो पे मजबूत खड़ी हो पाएगी
पर नजर लग गई न जाने किसकी
उस पिता के सपनों पर
उस भाई के उम्मीद पर
और उस माँ की ममता पर
कल लाश मिली उसकी पेड़ पर लटकी हुई
किसी दरिंदे ने लूट ली थी उसकी आबरू
और लोग जला रहे थे मोमबत्तीय
और रहनुमान सेंक रहे थे अपनी रोटिया
पूरा परिवार उस बेटी का कमरे के अंदर बंद
समझ नहीं पा रहा था की क्या करे
क्या करने के लिए रहे इस धरती पे
और दरिंदा अपनी दरिंदगी को
गलती मान घूम रहा था काही मस्ती मे
रोटी रही माँ टूटते रहे पिता भीतर ही भीतर
भाई बाधवास घूम रहा था अपनी ख़यालो मे
अधमरा अधमरा सा ........
-------------------->Infinity
माँ ने संभाल रक्खे थे कंगन अपनी शादी वाले
बेटी जब जाएगी ससुराल तो पहना कर भेजेगी
अपनी निशानी उसको
भाई ने जोड़ लिए तो कुछ पैसे
बहन को अपने औकात से विदा करने के लिए
पिता का मन रोज हो जाता था भावुक
की बेटी जब चली जाएगी ससुराल तो
तो कितना लगेगा सन्नाटा
भेजता था बेटी को स्कूल की
पढ़ लिख जाएगी
तो अपने पैरो पे मजबूत खड़ी हो पाएगी
पर नजर लग गई न जाने किसकी
उस पिता के सपनों पर
उस भाई के उम्मीद पर
और उस माँ की ममता पर
कल लाश मिली उसकी पेड़ पर लटकी हुई
किसी दरिंदे ने लूट ली थी उसकी आबरू
और लोग जला रहे थे मोमबत्तीय
और रहनुमान सेंक रहे थे अपनी रोटिया
पूरा परिवार उस बेटी का कमरे के अंदर बंद
समझ नहीं पा रहा था की क्या करे
क्या करने के लिए रहे इस धरती पे
और दरिंदा अपनी दरिंदगी को
गलती मान घूम रहा था काही मस्ती मे
रोटी रही माँ टूटते रहे पिता भीतर ही भीतर
भाई बाधवास घूम रहा था अपनी ख़यालो मे
अधमरा अधमरा सा ........
-------------------->Infinity
Tuesday, June 3, 2014
Wednesday, March 5, 2014
बेपरवाही तेरी देखके जल जाते है ये आमेखास,
बेपरवाही तेरी देखके जल जाते है ये आमेखास,
कहाँ से पाई है ये बेफिक्री तूने
एकबार जिक्र करदे इनका बस
इस फिक्र मे है चाहे बेरुखी के दो शब्द ही सही
---------------------------------------------------->इंफीनिटी
कहाँ से पाई है ये बेफिक्री तूने
एकबार जिक्र करदे इनका बस
इस फिक्र मे है चाहे बेरुखी के दो शब्द ही सही
---------------------------------------------------->इंफीनिटी
Thursday, January 30, 2014
उधर मोमबत्तियां पिघली इधर मेरा दिल जलाता रहा
kisi insan ke seene me dil na tha
mera baccha bhooka mar gaya
mombattiyan jalti rahi
udhar mombatti pighalati rahi idhar mera dil jalata raha
किसी इंसान के सीने में दिल न था
मेरा बच्चा मर गया भूखा
मम्बत्तियां जलती रही चौराहों पे
उधर मोमबत्तियां पिघली इधर मेरा दिल जलाता रहा
mera baccha bhooka mar gaya
mombattiyan jalti rahi
udhar mombatti pighalati rahi idhar mera dil jalata raha
किसी इंसान के सीने में दिल न था
मेरा बच्चा मर गया भूखा
मम्बत्तियां जलती रही चौराहों पे
उधर मोमबत्तियां पिघली इधर मेरा दिल जलाता रहा
Saturday, January 25, 2014
बेचते है अब भी कुछ बच्चे ट्राफिक सिग्नल पे तिरंगे
बेचते है अब भी कुछ बच्चे
ट्राफिक सिग्नल पे तिरंगे
पता नहीं आजादी के इतने सालो बाद भी
क्यू है भूखे नंगे...
----------> इन्फ़िनिटि
ट्राफिक सिग्नल पे तिरंगे
पता नहीं आजादी के इतने सालो बाद भी
क्यू है भूखे नंगे...
----------> इन्फ़िनिटि
Wednesday, January 15, 2014
Death : The perfect
Only on thing in this world is perfect : Death, Rest is imperfect and incomplete that’s is why we move toward death continuously.
-------------> Infinity
-------------> Infinity
Tuesday, January 14, 2014
होंठ जनता नहीं कि पेट भूखा है हमारा
होंठ जनता नहीं कि पेट भूखा है हमारा
मुस्कुरा देता है बेफिक्री में कभी कभी
और हुजूर को लगता है
कि थाली हमारी भी भरी थी कल रात को…
------------------------> Infinity
Wednesday, January 8, 2014
कि कौन क्या है यहाँ
मौला बना दे यहा इंसान आइनों के
हर इक को दिख जाएगा
कि कौन क्या है यहाँ।
--------------Infinity
हर इक को दिख जाएगा
कि कौन क्या है यहाँ।
--------------Infinity
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