Saturday, February 18, 2012
योद्धा हूँ मै
लाख बार पटक दो मुझे तुम
हार मान न जाऊंगा
फिर और मजबूत करके खुद
वापिस यही पे आऊंगा
पाषाण हूँ मै, रेत नहीं हूँ
के रौंद के आगे बढ़ जाओगे
पलट के दे कभी जो
लडने के लिए तैयार मुझे तुम
फिर यही पे पाओगे.
Saturday, February 11, 2012
Anubhav Ki Nadi Me Khanavadosh Din: एक परिचयः मेरे बाद (पंडित श्री योगेन्द्र दि्वेदी ...
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: भूमि पर मुझको लिटाना जब कभी तो इस तरह कि पीठ पर आकाश …….. मेरे होंठ मिट्टी से जुडे हों लोग पूछें तो बता द...
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