Saturday, October 22, 2011

भारत मेरा


देश कि जय, देश के लालो कि जय
भाषा कि जय बोली कि जय
इस देश के माटी के कण-कण कि जय
जिसे गाँधी ने है सवाँरा
भगत आज़ाद खुद्दिराम ने है निखारा
एक देश संस्कार-संस्कृति कि जय

हर कोई शांति से जिए यहाँ
और मरे तो शांति ही पाए
हर कोई जन्मे वीर यहाँ
और वीरगति ही पाए
ऐसा देश कही नहीं
ऐसी भाषा कही नहीं
है अनेक पर फिर भी एक हम
इस बहुभाषी भारत कि जय
यहाँ के हर इंसान के सपने कि जय

यहाँ जीते है पंडित पादरी मोलवी और खालसा
इस विशेष भाईचारे कि जय
हिंदी है इस देश कि शान
हिंदी कि जय अहिन्दी कि जय
भाषा-बोली के इस महासागर की
इस देश के माटी में बसे हर एक प्राण कि जय
हमारी जय हमारे राज्य कि जय
इस शाश्वत भारत के शान और ईमान कि जय.

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