बस कुछ ही दूरी पर दिख रही है
अंगीठी छुपाये कम्बल लपेटे
चाय की चुस्कीओं में
ओस की बूंदो में चमकती
धुंध में चुप चाप
दबे कदम आ रही है ठण्ड
#Infinity
अनजानों का शहर है ये
अपनो का गाँव नहीं
दुख बाँटता नहीं कोई
सुख बताता नहीं अब यहाँ
बुज़ुर्ग कोने में रक्ख़ा पीकदान
बच्चे सुनते नहीं अब राजा-रानीयो परीयों की कहानियाँ
सब कुछ है सबके पास यहाँ
पर किसी के पास कोई नहीं
#Infinity