Sunday, April 14, 2013

उस रोशनदान से झाँक रहा है कोई....

उस रोशनदान से झाँक रहा है कोई....
शायद आज फिर किसी का घर छिन गया...
आज फिर शायद किसी की आँखे नाम है
फिर अपना किसी का छिन गया वहाँ.....

No comments:

Post a Comment