Saturday, October 3, 2020

निष्ठुर ख्वाब गरीबी के

मेरी दुनिया वहीं 

कहीं कोने में ही पड़ी है 

मेरे सपनों का मोल 

निर्धारित है मेरे पैदाइश के पहले से ही

बिक गए कौड़ियों के भाव सब पहली ही खेप में

अकीदतमंद है सिर्फ मेरी मेहनत 

काफिर है सारे मेरे ख्वाब 

बस कत्ल के लायक

मेरी औकाद 

मेरे फटे कपड़े की दहलीज नहीं लांघती कभी

पूरी कोशिश से भी

मेहनत मेरी चमक साहब के चेहरे की

बनाये थे ताजमहल साहब

सारी दुनिया जानती है यही।

#Infinity

No comments:

Post a Comment