Tuesday, August 30, 2016
देश बिक रहा है
देश बिक रहा है
तुम भी अपना हिस्सा बेंच दो हुक्मराणों
हम तो तब भी फकीर थे
रहेंगे वही
हमारे हिस्से मे तो दो गज जमीन भी नहीं
गिरेंगे कहीं मिल जाएंगे मिट्टी मे
उगे थे जहां से
तुम अपने सोने वाले पंख लगा के
उड़ जाना फूलों के बाग की ओर
__Infinity
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment